Hoshiar Yadav

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दोस्ती में व्यापार क्यों

दोस्ती में व्यापार क्यों

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अमिट प्यार से भरी हुई है,

यह धोखे का आधार क्यों,

हर हाल में निभानी होती,

इस दोस्ती में व्यापार क्यों?


बुराई को मिटा देती सदा,

निराली होती इसकी अदा,

कुछ को लगे बेकार क्यों,

इस दोस्ती में व्यापार क्यों?


साथ निभाने का हो वादा,

नेक दिलों में होता इरादा,

दिल से हो दो चार क्यों,

इस दोस्ती में व्यापार क्यों?


यहां दोस्ती में व्यापार क्यों,

जन नफरत से है प्यार क्यों,

दिलों जान से होती जग में,

प्रफुल्लित कर दे तन रग में।


दोस्ती जगत में हो महान,

दोस्ती की हो बड़ा जहान,

इंसान कैसा होता जग में,

बस दोस्ती से हो पहचान।


दोस्ती में नहीं हो भेदभाव,

दोस्ती लगती है एक नाव,

दोस्ती में नहीं कांव कांव,

नहीं सोचते कोई है दाव।


कृष्ण सुदामा की दोस्ती,

जगत में सभी ही जानते,

दोस्ती में जाती पाती भी,

सच्चे जन नहीं पहचानते।


दोस्ती थी राधा कृष्ण की,

भक्ति में शक्ति कहलाती,

गोपियों के संग कृष्ण की,

ज्ञान का सागर भर जाती।


दोस्ती है ज्ञान दोस्ती मोती,

दोस्ती जागेे कभी न सोती,

दोस्ती पर लुटे हीरे मोती,

बिन दोस्ती आंखें भिगोती।


दोस्ती भरा प्यार ही प्यार,

दोस्ती जग में नहीं व्यापार,

निष्पक्ष दोस्ती को जो तैयार,

मिलेंगे मोती उसको हजार।।


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