सांसें इंतजार कहां करती हैं
सांसें इंतजार कहां करती हैं
सतत चलन नाम जिंदगानी,
जिंदगी होती है आनी जानी,
पर आत्मा कभी न मरती है,
सांसें इंतजार कहां करती हैं।
आया जग में एक दिन जाये,
चंद दिन रोये और वो हँसाये,
मौत कभी भी नहीं डरती है,
सांसें इंतजार कहां करती हैं।
पुण्य कर्म सदा जग में चलते,
पाप कर्म इंसान को ले मरते,
पुनीत बातें हर बाधा हरती है,
सांसें इंतजार कहां करती हैं।
आज बना है जो जग राजा,
रंक बना दे वक्त वो आ जा,
मौत नहीं यूं इंतजार करती है,
सांसें इंतजार कहां करती हैं।
देता सांसें वो प्रभु ही सबको,
बनाई धरती बनाया नभ को,
सबकी जननी यही धरती है,
सांसें इंतजार कहां करती हैं।
गिनती के सांस लेकर आते,
कुछ उनको बुराई में बीताते,
कुछ राक्षस जन को सताते हैं,
यह कथन संत ही बताते हैं।
लक्ष्य जिनका परहित होता,
सुंदर बीज वो धरा पे बोता,
किस्मत यही तो समझाती है,
जिंदगी प्रीत में बीत जातीहै।
सांसें इंतजार कहां करती हैं,
मौका देख छोड़कर जाती हैं,
कोई मौत के लिए तरसता है,
उसको मौत कीमत बताती हैं।
अनेक पथिक आते और जाते,
धरती के जन उन्हें भूल जाते,
जो कुछ लोग मन को भ्रमाते,
वो नहीं जग में प्रभु को पाते।
खाली हाथ जग में जन आया,
व्यर्थ में उसने जन्म ही लुटाया,
कर लो भलाई का काम कोई,
क्यों पापों में यह मन लगाया।
सांसें इंतजार कहां करती हैं,
एक दिन निकल चलती हैं,
आओ मन में प्रभु को बसाये,
उसकी कमी हमें खलती है।