हम भ्रष्टों के भ्रष्ट हमारे
हम भ्रष्टों के भ्रष्ट हमारे
बहु नेता आश्रित गुंडों पर,
और गुंडे नेताओं के सहारे।
पूरक हैं एक दूजे के दोनों,
एक दूजे के बिन हैं बेचारे।
सूत्र सामाजिक इनके बीच,
हम भ्रष्टों के हैं भ्रष्ट हमारे।
जनता के सम्मुख अति विनम्र,
पर्दे के पीछे हैं ज़ालिम बेदर्दी।
नेतागीरी चमकाने हित है जरूरी,
असमाजिक गुंडों की गुंडागर्दी।
नेता के गैरकानूनी हैं रक्षक ये,
नेता से पाते हैं संरक्षण ये सारे।
सूत्र सामाजिक इनके बीच,
हम भ्रष्टों के हैं भ्रष्ट हमारे।
काम बिचौलियों का करते हैं ये,
करवा देते हैं सफेद हर स्याह।
भ्रष्टाचार पर भरोसा अटूट है,
अनैतिक आचरण करें बेपरवाह।
अनैतिकता को नैतिक ठहरा दें,
बिकाऊ अगणित आका हमारे।
सूत्र सामाजिक इनके बीच,
हम भ्रष्टों के हैं भ्रष्ट हमारे।
भ्रष्टाचार रहेगा जारी जब तक,
जागरूक नहीं होगी जनता।
जानकारी-ईमानदारी आचरण में,
आने पर ही है काम यह बनता।
स्वर्ग का अनुभव जाकर ही मिलता,
जो बिना मरे कभी भी न मिलता रे।
सूत्र सामाजिक इनके बीच,
हम भ्रष्टों के हैं भ्रष्ट हमारे।
समाज भ्रष्टाचार रहित तब होगा,
ईमानदार निज स्तर जब होंगे सारे।