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Renuka Iyengar

Abstract

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Renuka Iyengar

Abstract

शब्द

शब्द

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शब्द ही है जो हमे हसाता है

शब्द ही है जो हमे रुलाता है।

शब्द ही है जो हमे देता है भरोसा

शब्द ही है जो तोड़ता है भरोसा।


शब्द से ही होती है बोली

शब्द से ही होती है ख़ामोशी।

शब्द ही हमे रुलाता है

शब्द ही हमें हसता भी है।


शब्द अपने भाव में है

शब्द अपने मन में भी है।

शब्द में इज़हार भी है 

शब्द में इंकार भी है।


शब्द में दिलों की उलझने भी है

शब्द में गीतों की माला भी है।

शब्द में विचारों का धरा भी है

शब्द में समुद्र जैसा विशाल आहट भी है।


शब्द में गुनगुनाता हुआ गाना भी है

शब्द में फिल्मों का कहानी भी है।

शब्द जीवन को उलट पलट भी कर सका है

शब्द सारी उलझनों को सुलझा भी सकता है।


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