दहलीज लांघना
दहलीज लांघना
दहलीज लांघना भी जरूरी होता है,
हर वक्त ये सोच कर बैठ नहीं सकते की,
मेरा सब कुछ ठीक हो जाएगा।
दहलीज लांघना भी अपने खुद का खुद से
पहचान बनाना होता है।
सब कुछ निमीत करने से अपना मर्यादा में रहकर
दहलीज लांघना इसे एक नई दिशा कहते है।
दहलीज पार कर नई विचार को अपनाना भी
आसमान को छू लेने के समान है।
दहलीज लांघना अपने आप में खुशियों का
आगमन भी कहते है।
पंछी जैसे आसमान में उड़ते हुए खुशी ढूंढ लेते है।
उसी तरह हम दहलीज लांघने से अपना खुशी ढूंढ लेते है।
