प्रतिक्रियाओं का रंगमंच
प्रतिक्रियाओं का रंगमंच
हम जुड़ते हैं
लोगों से
तो आभार प्रकट
करते हैं
पर इन प्रतिक्रियाओं
को टाइमलाइन
पर नहीं लिखते हैं !!
फेसबुक के
पन्नों में
हमें गौर से
देखना है
प्रतिक्रिया देने
से पहले
हमको बहुत
कुछ सोचना है !!
श्रेष्ठ को शालीनता
और शिष्टाचार से
सर झुकाना चाहिए
हम उम्र और छोटे
मित्रों का
सम्मान सर्वथा
करना चाहिए !!
अग्राह्य विचारों को
वेशक
हमें नजर अंदाज
करना होगा
शिव शम्भू नीलकंठ
बनकर
गरल को
सम्पूर्ण पीना होगा !!
अच्छी प्रतिक्रियाओं
से सबकी
बांछें खिलने
लगती हैं
मौन सदा रहने पर
लोगों की
अकर्मण्यता
छलकने लगती है !!
गलत बातें ,
गलत भंगिमा को
कभी स्वीकार
ना करना
सुधार हिदायत की
बातों को
कहने में तुम
कभी ना डरना !!
प्रतिक्रियाओं
के बल पर ही
फेसबुक का
रंगमंच सजा है
शालीनता से
जो बात कही जाये तो
कहने का फिर
और मजा होता है !!