शिवाजी महाराज
शिवाजी महाराज
डर से जिनके थर्र-थर्र कांपे, जो, मंगलों की नींव हिला बैठे
हमला करेंगे कब-कहाँ शिवाजी, नींद, उनकी उड़ा बैठे।
जीजा-शाहजी के पुत्र प्यारे, माँ शिवाई के उपासक थे
माता के नाम से शमशीर पास में, नाम, उन्हीं से पाये थे।
हृदय सम्राट कहते थे उनको, काम जनता भलाई के करते थे
अष्ट प्रधान दरबार विराजे, जो, मंत्री परिषद के सदस्य थे।
नारी का सम्मान हमेशा, नारी हिंसा, उत्पीड़न के विरोधक थे
जात-पात का भेद न मन में, सबसे उचित व्यवहार ही करते थे।
प्रशानिक शिक्षा कोंडदेव से पाई, रामदास आध्यात्मिक गुरु कहलाते थे
सिंहासन पर रख गुरु चरण पादुका, फिर चरणों में शीश झुकाते थे।
गुरु नाम के सिक्के चलाये, नौ सेना के जनक कहलाते थे
युद्ध कलाओं में महारत हासिल, पेशेवर सेना रखते थे।
गुरिल्ला युद्ध के जन्मदाता, सत्ता, रायगढ़ पर रखते थे
निंबालकर के पति-परमेशर, संभाजी महाराज के पिताश्री थे ।
पुना दुर्ग पर कब्जा जमाया, मराठा साम्राज्य की नींव रखे थे
अफजल को भी मार गिराया, रामनगर तक राज्य बढ़ाये थे।
सिद्धी जौहर ने कैदी बनाए, दुर्ग पन्हाला में रखे थे
छल गए उनको नहावी बैठाकर, जो उन्हें जीतने का सपना रखते थे।
औरंगजेब से लोहा लिये, नाक में दम कर रखे थे
कल्याणी प्रदेशों को जीता उन्होंने, अदम्य साहस जो रखते थे।
