ये जिंदगी कुरकुरे के सामान है।
ये जिंदगी कुरकुरे के सामान है।
1 min
218
ये जिंदगी कुरकुरे के सामान है।
कुछ चटपटा सा, अटपटा सा
किसी को इतनी रास आती है कि,
चाट चाट कर खाता है।
और किसी को कब्ज करा जाता है।
इसलिए जिंदगी के मशालों को,
बराबर मिला के रखिए।
याद रखिए कि स्वाद बिना,
जिंदगी बेस्वाद है।
टेढ़ा है मेढ़ा है,
पर स्वाद ही स्वाद है,
बाक़ी सब बरबाद है।
फ़िर भी आबाद है।
जिंदगी भी कुरकुरे के सामान
कभी तीखी कभी मीठी है।
पर जैसी भी है,
जिंदगी जीने की,
जद्दोजहद जारी है।
जिंदगी जीने के लिए,
एक ख़ुशी की तलाश है।
ये जिंदगी कुरकुरे के सामान है।
ये जिंदगी कुरकुरे के सामान है।