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Vimla Jain

Abstract

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Vimla Jain

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गीली सड़क

गीली सड़क

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सावन तो आ गया बरसात न आई थी।

 मौसम में गर्मी उतनी ही समाई थी।

 कल रात जब मैं सोई तो मन में कल पैदल ही घूमने का प्लान मैं बनाई थी।

 मगर जब सुबह उठती मौसम खुशनुमा था।

 बरसात हो आई थी।

 बरसात की फुहार मन को महका गई ।

लगा सावन की झड़ी आ गई।

कल जो प्लान सूखी सड़क देखकर बनाए थे।

 यह सारे धरे के धरे रह गए।

क्योंकि बरसात की झड़ी से सड़क भी गीली थी ।

गीली सड़क देखकर उस पर चलने का प्लान फेल हुआ।

क्योंकि एक बार पहले भी गीली सड़क की मिट्टी में फिसलने का अनुभव जो था।

 इसीलिए दूर से देखकर बरसात को हम खुश हुए।

 घर से ही बरसात देख उसमें भीगने के मजे हमने ले लिए और सड़क पर जाने का प्रोग्राम बंद रखा ।

सूखने का इंतजार चालू रखा।

चाहते हैं यह बरसात यू ही आती रहे।

 सावन यूं ही बरसता रहे। 

गर्मी यूं ही जाती रहे। मिट्टी की सोंधी खुशबू आती रहे।

बरसात हमको महकाती रहे। गर्म चाय और पकोड़े खिलाती रहे।

सड़क चाहे भीगी हो

 मन आज खुश है।

क्योंकि सावन की बरसात की पहली यह लड़ी है।

 झरमर झरमर बरसात देख बहुत खुशी जो मिली है।


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