आज
आज
आज पूछता फिर रहा,
इंतजार करता किसका भला?
मैं ही मैं हूँ,
तू कुछ भी नहीं।
तू कल- कल करता रहा,
पर कल होता नहीं,
कल ने किया था ही कब?
कल करेगा भी क्या?
आज फिर पूछता,
फिर रहा।
इंतजार करता किसका भला?
कल काल गाल समाता रहा,
फिर भी तू , अटका रहा?
फिर भी रोता, बिलखता, फिरता रहा ।
पर सब़ तुझमें अब भी नहीं ।।
कल का इंतजार ,
फिर भी करता रहा,
कल था, न होगा कल,
बस मैं ही मैं हूँ,
हर घड़ी-
अब कर हवाले मुझको,
उपहार मुझसे बड़ा , कुछ भी नहीं,
मैं सही, तू भी सही,
मैं नहीं, तू भी नहीं।
आज पूछता फिर रहा,
इंतजार करता किसका भला?
