कर्म
कर्म
भला बुरा जो तुमने किया ,
किसी ने न देखा ,....
मगर उसने देख लिया।
किसी से दगा किसी से वफा ,
किसी से सच किसी से झूठ ,
तुमने सोचा बहुत अच्छा किया।
किसी से लूट किसी से खसोट ,
किसी की चोरी किसी से सीनाजोरी
तुमने सोचा अब जंग जीत लिया।
किसी का दिल किसी का तन दुखाया,
हक मारा किसी और खून के आँसू रुलाया ,
सुना न किसी की और मनमानी किया।
अपनों से प्यार गैरो से नफरत
खुद का दर्द बड़ा गैर का मज़ाक
यह कैसा तूने इंसानियत दिखाया।
हुये जब पॉज़िटिव कोरोना से ,
हाय तौबा मचाया सांस के लिए ज़ोर लगाया
हुए जब अपने पॉज़िटिव घर से बाहर भगाया।
मर गया कोई अपना लाश हाथ न लगाया ,
दो गज कफन चार कंधा न लगाया।
सड़ गई लाश बिरान चील कौओ नोचवाया।
इंसानियत से बड़ा कोई नहीं ,
तूने ये क्या किया तूने ये क्या किया।
