कुछ अलग से एहसास
कुछ अलग से एहसास
शायरी सिर्फ आशिकी की ही नही
मसले न जाने हैं यहां और कितने
गिनने जो बैठोगे जरा फुरसत से
उभर आएंगे उतने, पीछे छोड़ आओगे जितने"......
"लफ्ज़ों के तीर खंजर से भी तेज धार रखते हैं
बिन जाने कई बार जिगर को तार तार करते हैं".....
"जिंदगी का लम्बा सफर यूं ही चलता रहता है
मंजिल मिलती है जब चार कंधों का सहारा मिलता है".....
"बहुत शातिर थे वे मेरे हमकदम
सोने की घड़ी तश्तरी में सजा के दे गए
हमने दो पल फुरसत के मांगे थे
वो आंसू व बेकरारी देकर चले गए".....
"अजीब मिठास है गरीब के पसीने में
ऊपर वाला भी खूब बहने देता है
धूप की तपिश क्या जाने भारी जेबें
आफताब नंगे बदनों को सहलाता है"......
"अंधेरा वहां नहीं ए मेरे अजीज़ो
जहां तन बेपर्दा है
अंधेरा उस चमक के पीछे है
जहां मन बेजदा है".....
"समझने वाले आंखों में कैद
आंसुओं की जुबां समझ लेते हैं
जिन्हें समझना ही ना हो
वे दफ्न किस्से भी खोद लेते हैं"........
"हम एक ही सफर के राही हैं
कभी न कभी मिल जायेंगे
समेटे रखो ख्वाबों की मंजिल
यह बहता दरिया तर जायेंगे"......
"ऐसा न हो कि खुद से शिकायत कर बैठो
अकेला उलझता रहा, किसी का दिल टटोला नही"....
