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Meena Mallavarapu

Abstract Inspirational

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Meena Mallavarapu

Abstract Inspirational

दर्द के रंग

दर्द के रंग

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दर्द के रंग हज़ार ,रूप हज़ार

हर दर्द के पीछे क़िस्से हज़ार

समझने के लिए चाहिए

संवेदनशील एक हृदय


 वैसे तो जिसने भूख न जानी कभी

 जिसको ग़रीबी न झेलनी पड़ी कभी-

वह भूखे की भूख क्या जाने

 वह ग़रीब की दुर्गति क्या जाने


 जिस दर्द को सहा है कभी न कभी जीवन में

उसकी एक पहचान बन जाती है अपने जीवन में-

 उसे समझना है आसान,

नुस्ख़े सुझाना है आसान


जब दुख दर्द एक से होंगे नही, हो सकते भी नहीं-

कैसे जुड़े रिश्ता समानभूति का -सहानुभूति का नहीं-

हर पराए की पीर को कैसे अपनाएं

वैष्णव जनहम कैसे बनपाएं

जाना पड़ेगा हमें दर्द की खोज में,उसकी गहराई तक-

ढूंढें उस पीर को जो खींच रही है गहराई तक

जानने दर्द की असली परिभाषा 

जो बदलती नहीं किसी के लिए

 

यही है वह दर्द जो समझ पाए हर कोई

जिसके लिए परिचय की दरकार न कोई

जिसका अहसास ही है काफ़ी

जिसका उच्चारण ही है काफ़ी


 जोड़ दे जोदिलोंकोहैयह दर्दवही

दुख दर्द किसी और का ,क्यों देती हमें दर्द वही

आह किसी की ,टीस किसी की

क्यों बन जाती है हम सब की


हैदर्द का बसेरा हर इन्सान के दिल में

हो कितना भी कठोर ,छुपाता है अपने दिल में

दर्द किसी अपने के लिए -

कभी जाने अनजाने पराए के लिए

छोटा सा बच्चा भी हो जाता द्रवित देख किसी की पीड़ा

 चोट नहीं लगी उसे - मगर महसूस हुई वह पीड़ा

है यही शुरुआत यही अन्त मेरे लिए

 समानभूति की इस अनुपम


अनुभूति के लिए

है जीवन का सार और सौंदर्य यही दर्द की अनभूति

रहें न हम इससे अनभिज्ञ

है यही अनुभूति 

हमारे जीवन का आधार।


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