सखी... सखी...
उसके गालों को लट काली जब होले से सहलाती है। और उनको अपनी उंगलियों से सहज ही वो हटाती है। उसके गालों को लट काली जब होले से सहलाती है। और उनको अपनी उंगलियों से सहज ही...
प्राकृतिक सौंदर्य खत्म हो रहा है क्यूँकि ध्वनि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। प्राकृतिक सौंदर्य खत्म हो रहा है क्यूँकि ध्वनि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।
ये बनावटी जिंदगी तो साखी एक भ्रम है प्रकृति के बग़ैर न होंगे कभी खुश हम है ये बनावटी जिंदगी तो साखी एक भ्रम है प्रकृति के बग़ैर न होंगे कभी खुश हम है
मैं हर दिन वहां बैठता और उस सुंदरता को परिभाषित करने की कोशिश करता मैं हर दिन वहां बैठता और उस सुंदरता को परिभाषित करने की कोशिश करता
संसार का सौंदर्य है, ये भाव कहाँ समझ पाते। संसार का सौंदर्य है, ये भाव कहाँ समझ पाते।