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कुदरत

कुदरत

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दुनिया कहती है कि बावरी है वो लड़की... न जाने कहाँ अपनी ही दुनिया में खोयी रहती है, खुद से ही बातें करती है... पर ये कोई न जाना पाया, की खुद में खोयी वो "लड़की" बहुत प्रेम करती है इस "प्रकृति" से... ये बादल, मेघ, नदिया... ये हरियाली, ये कलकल बहते झरने.. ये शीतल पवन, फूल-कलि, उपवन... इन सबसे प्रेम करती है वो "लड़की"... इन सब में बसती है जान उसकी... उसके शब्दों में इन सबका जिक्र होता है हमेशा... इस "प्रकृति" की गोद में खेलना अच्छा लगता है उसे... इन सब से मिल कर उसके चेहरे पर आने वाली पवित्र "मुस्कान" को देख मन मेरा भी हर्षित हो जाता है, उसके गुलाबी गालों पर खिलती है ये "प्रकृति"... इसी का तो श्रृँगार करती है वो लड़की... वो "सखी" तो सिर्फ मेरी है... इस "प्रकृति" का हर हसीं नजारा उसे बहुत प्यारा है सच में "सखी" तुम्हारी नजरों से देखा हैं मैंने इस "प्रकृति" को ये भी तुम जैसी ही खूबसूरत है..! 


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