गुमनाम जिंदगी
गुमनाम जिंदगी
मोहब्बत की तुमसे हाल मेरा बेहाल है बेरुखी
क्यूँ हर वक़्त शिकन माथे पर है गुमनाम जिंदगी
साँसों पर तेरा नाम धड़कन को ऐतबार रहनुमा
तू भी तो कर मुझसे प्यार कर थोड़ी सी बंदगी
खुले आसमाँ के तले मौन हैं लब चीत्कार गूँजती
बेपरवाह हुई सारी हसरतें और आवारा दिल्लगी
कोई लौट के आने का पैगाम भेजता है मानों
कैसे बताये देरी हुई अब तो भायी गुमनाम जिंदगी।