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Ravinder Raghav

Abstract

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Ravinder Raghav

Abstract

इक नया दौर आया है

इक नया दौर आया है

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इक नया दौर आया है

सभी ने मुस्कुराहटों को सजाया है

मुस्कुराहटों के पिछे 

न जाने दिलों में कौन सा गम छुपाया है

अपनों से हर बात को छुपाया है 

सभी ने सोशल मीडिया को दोस्त बनाया है 

इक नया दौर आया है


शाम ढलने पर मंदिरा से खूब जस्न मनाया है

अपने को खूब माॅडर्न दिखाया है

आधे कपड़े पहन सभ्यता का

खूब मजाक उड़ाया है

कुछ कहने पर आजादी पर प्रश्न उठाया है

रिश्तों में मर्यादा को खूब गिराया है

इक नया दौर आया है  


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