तुम मेरे दिमाग पर छा रही हो
तुम मेरे दिमाग पर छा रही हो
तुम मेरे दिमाग पर छा रही हो
इक नशा बनती जा रही हो
तुम मेरे होश-ओ-हवास गंवा रही हो
इक आदत बनती जा रही हो
तुम मेरे दिल में तरंग भर रही हो
इक उमंग बनती जा रही हो
तुम मेरे सपनों में आ रही हो
इक हकीकत बनती जा रही हो
देख कहीं ऐसा तो नहीं कि
मुझे तुमसे मोहब्बत हो रही हो
तेरी आंखों में क्या जादू है
जो अपनी और खिंचे जा रही हो
मुझसे दूर रहकर भी तुम
मेरे करीब आती जा रही हो
तेरी आवाज में क्या संगीत है
जिसे तुम मेरे कानों में गुनगुना रही हो
तेरी बातों में क्या नशा है
जो मुझे मदहोश कर रही हो
तेरी मुस्कान में क्या कशिश है
जो मुझे इस तरह दीवाना बना रही हो।