ज़िन्दगी में क्या कुछ कम हैं
ज़िन्दगी में क्या कुछ कम हैं
ज़िन्दगी में क्या कुछ कम हैं ग़म
इश्क कर फिर कोई क्यों अपनी नींद ख़राब करें
है वादा खिलाफी गर लोगों की फितरत
वादों पे फिर कोई कैसे ऐतबार करें
जब मिलकर है बिछड़ना किस्मत में
मिलने का फिर कोई क्यों इंतजार करें
खेलते हैं लोग यहां लोगों के ज़ज्बात से
बात अपने दिल की फिर कोई क्यों बयान करें
मरने पर कहते हैं सब कि अच्छा था
जी कर फिर कोई क्यों वक्त बर्बाद करें।