STORYMIRROR

Ravinder Raghav

Abstract

4  

Ravinder Raghav

Abstract

ज़िन्दगी में क्या कुछ कम हैं

ज़िन्दगी में क्या कुछ कम हैं

1 min
205

ज़िन्दगी में क्या कुछ कम हैं ग़म

इश्क कर फिर कोई क्यों अपनी नींद ख़राब करें


है वादा खिलाफी गर लोगों की फितरत 

वादों पे फिर कोई कैसे ऐतबार करें


जब मिलकर है बिछड़ना किस्मत में

मिलने का फिर कोई क्यों इंतजार करें


खेलते हैं लोग यहां लोगों के ज़ज्बात से

बात अपने दिल की फिर कोई क्यों बयान करें


मरने पर कहते हैं सब कि अच्छा था

जी कर फिर कोई क्यों वक्त बर्बाद करें।



এই বিষয়বস্তু রেট
প্রবেশ করুন

Similar hindi poem from Abstract