दिल में घर कब बना पाया
दिल में घर कब बना पाया
करते रहे बातें बहुत पर
दिल के अरमां कब बता पाया
मिलते रहे गलियों में पर
अपना मकां कब दिखा पाया
मानते रहे उनको ख़ुदा पर
सामने सर कब झुका पाया
डरते रहे उनके ख़फा होने से पर
दिल में घर कब बना पाया।

