STORYMIRROR

Swapnil Kulshreshtha

Romance Inspirational

4  

Swapnil Kulshreshtha

Romance Inspirational

बिना रिश्तों वाला प्यार

बिना रिश्तों वाला प्यार

1 min
179

धूप अब पत्तों के नीचे छनकर आने लगी है,

मकड़ियों के धूसर जाले भी अच्छे लगने लगे हैं।


बुलबुल पेड़ों पर ही नहीं,घर के अंदर भी गाने लगी है

जुगनूओं को भी बया के घोसले अब अपने लगने लगे हैं।


हाथों से उठकर प्यार अब आंखों में समाने लगा है,

बिना रिश्तों वाला प्यार अब ज्यादा सुहाना लगने लगा है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance