STORYMIRROR

Durga Amlani

Romance

3  

Durga Amlani

Romance

उम्मीद

उम्मीद

1 min
13.7K


झूठे हो तुम फिर भी

तुम पर विश्वास करने का मन क्यों करता है

बदमाश हो तुम फिर भी तुम्हें

अपना बनाने का मन क्यों करता है

जानती हूं तुम नहीं मेरे

फिर भी तुम्हें चाहने का मन क्यों करता है

उम्मीदें टूट चुकी है सब

फिर भी एक उम्मीद रखने का मन क्यों करता है

मौत तो आनी है एक दिन

फिर भी जीने का मन क्यों करता है

नहीं आओगे मुझे लेने तुम

फिर भी तेरा इंतजार करने का मन क्यों करता है

आंखों से आँसू छलक रहे हैं

फिर भी मुस्कुराने का मन क्यों करता है

तुम हो पत्थर मेरे "मीत"फिर भी तुम्हें पूजने का मन क्यों करता है....


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance