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दिन ढल जाए, रात सुहानी आये

दिन ढल जाए, रात सुहानी आये

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दिन ढल जाए, रात सुहानी आये

मुझमे तेरी सांसो, की रवानी आये।

तेरी सांसो ने दिये न जाने कितने ग़म

अब इन ग़मों का हिसाब लगाया जाए।

इन ग़मों को दिल से निकाला जाए

और दिल को प्यार भरे नगमों से सजाया जाए।

राहत की बात है अगर मोहब्बत

तो क्यूं न बिखरे जज्बातों को सजाया जाए।

बंजर दिल की जमीं पर

फूलों का एक बाग लगाया जाए।

जिन चिरागों को रौशन करु मैं

उन चिरागों को बुझाने से बचाया जाए।

तेरे बिन कैसे जिया जाए

आंखों से अश्कों का सैलाब आए।

खुदकुशी करने की हिम्मत नहीं है मुझ में

क्यों किसी को मोहब्बत में सताया जाए।

दिन ढल जाए रात सुहानी आए

मुझ में तेरी यादों की रवानी आए।

#Love......


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