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राघवेन्द्र ‛राज’

Romance

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राघवेन्द्र ‛राज’

Romance

वो तन्हा हमसफ़र

वो तन्हा हमसफ़र

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वो तन्हा सफ़र

हम पर टूटा कहर।

तेरे बिन गुजरेंगे कैसे,

दिन ये मेरे हमसफ़र।


रूठ कर हमसे जायोगे कहाँ,

और कितना तुमको टूटकर चाहें भला।

जिंदगी का फ़लसफ़ा तुम्ही से,

तुम्ही से मेरा जहां।



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