STORYMIRROR

राघवेन्द्र ‛राज’

Drama

2  

राघवेन्द्र ‛राज’

Drama

जब दर्द हद से बढ़ जाता है

जब दर्द हद से बढ़ जाता है

1 min
331

जब दर्द हद से बढ़ जाता है

गम आंसू में ढल जाता है।


जब दर्द हद से बढ़ जाता है

जीना मुश्किल हो जाता है।


जब दर्द हद से बढ़ जाता है

दिल बगावत पर उतर आता है।


जब दर्द हद से बढ़ जाता है

दिल पत्थर हो जाता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama