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राघवेन्द्र ‛राज’

Drama

5.0  

राघवेन्द्र ‛राज’

Drama

जब दर्द हद से बढ़ जाता है

जब दर्द हद से बढ़ जाता है

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जब दर्द हद से बढ़ जाता है

गम आंसू में ढल जाता है।


जब दर्द हद से बढ़ जाता है

जीना मुश्किल हो जाता है।


जब दर्द हद से बढ़ जाता है

दिल बगावत पर उतर आता है।


जब दर्द हद से बढ़ जाता है

दिल पत्थर हो जाता है।


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