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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy Inspirational

"कमियां"

"कमियां"

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अपनी कमियां न देखता संसार दूसरों की कमियां भाती हजार


ऐसा ही है, संसार का चमत्कार

अपने सिवा सब लगते, बेकार


जिस दिन टूटता है, स्वार्थ तार

अपने लोग छोड़ देते है, साथ


कोई न स्व कमी के जानकार

सब पराई कमी के जानकार


जिस दिन दिखेगी खुद की कमी

उस दिन खुलेगी आपकी आंख


सब के सब खलनायक किरदार

गुम हुआ, आज सच्चा कलाकार


खास छोड़ दे, हम बुराई मलाईदार

हम लोग भी बन जाएंगे, फूलहार


जब लेंगे, खुद की कमियां निहार

तब भूल जाएंगे, पर कमियां हजार


खुदा बना देता है, उन्हें फनकार

जो होते स्व कमियों के जानकार


वो शूल हो जाते है, गुले गुलजार

जो स्व कमियों को देते, फटकार


जो स्व कमियों को नहीं दे धार 

वक्त रहते, कमी का करे, सुधार


वो एक दिन बनते है, आफ़ताब

जो अपने दाग लेते है, पहचान


उनके पूरे होते है, सब ख्वाब

स्व कमी की पढ़े, जो किताब


दूसरों की कमियां भूले आप

अपनी कमियां देखे, गिरेबान


वो दिन दूर न होगा, जनाब

जब आप ही बनोगे, नवाब


खुद से आप पर्दा नहीं करे

खुदा का आप सजदा करे


यह दुनिया करेगी, आदाब

स्व कमियां दूर करे, आप


स्व कमियों का जाने जवाब

हर शख्स लगेगा, लाजवाब



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