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Ajita Singh

Abstract Drama Romance

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Ajita Singh

Abstract Drama Romance

सुकून

सुकून

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सुकून ढूंढता हो कहाँ ?


उस फूल में या छांव में ?

या फिर नदी के बहाव में ?


बारिश की बूंदों में ?

या फिर चलती हवाओं में?


क्या तराशा है कभी सुकून को

 तुमने खुद के मचलते ठहराव में ? 

बस इसी जंजीर को टोड़ना है 

खुद के सुकून को खुद में ढूंढना है.....


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