Ajita Singh
Abstract Drama Romance
सुकून ढूंढता हो कहाँ ?
उस फूल में या छांव में ?
या फिर नदी के बहाव में ?
बारिश की बूंदों में ?
या फिर चलती हवाओं में?
क्या तराशा है कभी सुकून को
तुमने खुद के मचलते ठहराव में ?
बस इसी जंजीर को टोड़ना है
खुद के सुकून को खुद में ढूंढना है.....
वो शाम.....
कांटे
मौन भाषा
सुकून
जैसे
सफ़र
कविता
प्यार
मौन
तुम
असीम सुकून माँ की गोद में लगता जैसे कोई जन्नत। असीम सुकून माँ की गोद में लगता जैसे कोई जन्नत।
मेघ कहाँ तुम ठिठक गए, मत तोड़ो विश्वास। बरसो जमकर खूब, बुझा दो धरा की प्यास। मेघ कहाँ तुम ठिठक गए, मत तोड़ो विश्वास। बरसो जमकर खूब, बुझा दो धरा की प्यास।
ऐसा होना माना है बेहद कठिन पर मुमकिन ज़रूर है...!! ऐसा होना माना है बेहद कठिन पर मुमकिन ज़रूर है...!!
एहसास के मोती अनमोल होते, रखना इसे सम्हाल के। एहसास के मोती अनमोल होते, रखना इसे सम्हाल के।
जीवन यह खेत है तो मां कुएं का सहारा है। जीवन यह खेत है तो मां कुएं का सहारा है।
वर्तमान फिर अतीत बन ढला यह साल भी गुजर चला वर्तमान फिर अतीत बन ढला यह साल भी गुजर चला
बीते साल की करें विदाई नए साल का जश्न साथ मिल ऐसे घुल जाएं। बीते साल की करें विदाई नए साल का जश्न साथ मिल ऐसे घुल जाएं।
यहां हैं चुनौतियां हर मोड़ पर ख़ुद को ले ज़रा आज़मा यहां हैं चुनौतियां हर मोड़ पर ख़ुद को ले ज़रा आज़मा
हौसलों की अभेद्य दीवार चलो हम बनायें, नहीं विचलित हो हमारा मन किसी क्षण में। हौसलों की अभेद्य दीवार चलो हम बनायें, नहीं विचलित हो हमारा मन किसी क्षण में।
अक्सर लोग तुम्हे शायर कहते है " श्वेत " ये सुनकर सीना तान के घरसे निकलते है। अक्सर लोग तुम्हे शायर कहते है " श्वेत " ये सुनकर सीना तान के घरसे निकलते है।
वो मेरा ख्वाब अपनी आँखों में लगाए बैठे हैं,, हम इसी बात पे आस लगाए बैठे हैं.. वो मेरा ख्वाब अपनी आँखों में लगाए बैठे हैं,, हम इसी बात पे आस लगाए बैठे हैं..
आईना चेहरे कि हकीकत दिल की सच्चाई इज़हार आइना।। आईना चेहरे कि हकीकत दिल की सच्चाई इज़हार आइना।।
तरसता था कभी... किसी के हाथों के स्पर्श लिए तरसता था कभी... किसी के हाथों के स्पर्श लिए
मोहब्बत में चाहत को जूनून बनते देखा है नफ़रत में दर्द को आक्रोश बनते देखा है। मोहब्बत में चाहत को जूनून बनते देखा है नफ़रत में दर्द को आक्रोश बनते देखा है।
बिना डरे उड़ गया डर के मारे कांपता रह गया मैं । बिना डरे उड़ गया डर के मारे कांपता रह गया मैं ।
होली सत्य की जीत का, शुभ पावन त्यौहार। महकता हर घर आँगन, होता सुख का संचार। होली सत्य की जीत का, शुभ पावन त्यौहार। महकता हर घर आँगन, होता सुख का संचार।
जनता हुयी हैं सतर्क और जागृत, देखो आनेवाली हैं कल काली रात। जनता हुयी हैं सतर्क और जागृत, देखो आनेवाली हैं कल काली रात।
सफाई कर्मी की मेहनत, स्वच्छता का बनती परिणाम । सफाई कर्मी की मेहनत, स्वच्छता का बनती परिणाम ।
नहीं कमतर हैं किसी से क्योंकि उस क्षितिज को पाने चले उड़ चले हैं ये। नहीं कमतर हैं किसी से क्योंकि उस क्षितिज को पाने चले उड़...
जितना कहूं फिर भी न हो पाएगा बयां मेरेे जन्म से लेकर अब तक की दास्ताां। जितना कहूं फिर भी न हो पाएगा बयां मेरेे जन्म से लेकर अब तक की दास्ताां।