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Ajita Singh

Others

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Ajita Singh

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कांटे

कांटे

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सब कहते हैं.....

कांटे लगे हैं ,पैरो में

जहाँ से भी गुजरती है 

चुभन छोड़ जाती है

इठलाती है ,बलखाती है 

जहाँ से भी गुजरती है 

जलन छोड़ जाती है 

और मैं कहती हूँ.....

नज़रे सौदाई हैं

इस जन रेले मैं

जब भी मुझे देखे

एक झिझक छोड़ जाती है

खुद को संभालू या दामन बचालूं 

घूरती नज़रे 

एक सनक छोड़ जाती हैं।



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