Ajita Singh
Fantasy
दिल तुम्हें देखकर
अक्सर ये सोचता है
तुम मेरा भ्रम हो या
कोई कल्पना
मेरी अलसायी हुई सुबह या
जागती रातों का सपना
तुम क्यों मेरी कविता का केन्द्र बिंदु हो
सार हो... शीर्षक हो...
तुम क्यों हो ?
कौन हो ?
वो शाम.....
कांटे
मौन भाषा
सुकून
जैसे
सफ़र
कविता
प्यार
मौन
तुम
लोकतंत्र में जनता होती सत्ता की भाग्य विधाता लोकतंत्र में जनता होती सत्ता की भाग्य विधाता
भय सा छाया है अब दिल में भी, खो ना जाओ कहीं तुम ये दशहत है ! भय सा छाया है अब दिल में भी, खो ना जाओ कहीं तुम ये दशहत है !
भवसागर से वही पार कराएंगे जप लो जय श्री राम। भवसागर से वही पार कराएंगे जप लो जय श्री राम।
जीवन रिश्ते नाते से है इतना ही बस समझो तुम इतना ही बस समझो तुम ! जीवन रिश्ते नाते से है इतना ही बस समझो तुम इतना ही बस समझो तुम !
शादी को तो वैसे 4 साल हुए हैं पर हमारा रिश्ता 8 साल पुराना है। शादी को तो वैसे 4 साल हुए हैं पर हमारा रिश्ता 8 साल पुराना है।
औषधीय गुणों से युक्त है सो आता सबके काम औषधीय गुणों से युक्त है सो आता सबके काम
तन, मन को दुरुस्त रखने में सुबह का खास महत्व तन, मन को दुरुस्त रखने में सुबह का खास महत्व
बिना संघर्ष के जीत कभी किसी को मिली नहीं । बिना संघर्ष के जीत कभी किसी को मिली नहीं ।
कोई किचन को व्यंजन से सजा रहा है कोई घंटी तो कोई शंख बजा रहा है कोई किचन को व्यंजन से सजा रहा है कोई घंटी तो कोई शंख बजा रहा है
करेला खाने से क्या फायदा होता है, मैं अब सब को बताया करता हूं। करेला खाने से क्या फायदा होता है, मैं अब सब को बताया करता हूं।
तुलसी में मोहन रहते, वो यहां वास करें जैसे....... तुलसी में मोहन रहते, वो यहां वास करें जैसे.......
जीवन सफर में आगे बढ़ता रहूं, संतुलित रहें सदा जज्बात। जीवन सफर में आगे बढ़ता रहूं, संतुलित रहें सदा जज्बात।
लोहे की पटरी से होकर सफ़र आरम्भ होता है लोहे की पटरी से होकर सफ़र आरम्भ होता है
अच्छा, बुरा, भला विचार क्षण बदले व्यवहार अच्छा, बुरा, भला विचार क्षण बदले व्यवहार
मैं लिखूं तुमसे, तुम गुमनाम कहीं, ये ज़िंदगी के सफर में, यूं हैं बदनाम कई, मैं लिखूं तुमसे, तुम गुमनाम कहीं, ये ज़िंदगी के सफर में, यूं हैं बदनाम कई,
घर लौटकर अंधेरे से निपटने को करे हर शय प्रयास विशेष घर लौटकर अंधेरे से निपटने को करे हर शय प्रयास विशेष
कभी मेरी ना हो पाई, मेरा हो तो अक्स थी वो। कभी मेरी ना हो पाई, मेरा हो तो अक्स थी वो।
मेरे कालजे म उनने घा कर राखै स भोले वा मन्ने पावण ख़ातिर तेरे मसके लगावेगी मेरे कालजे म उनने घा कर राखै स भोले वा मन्ने पावण ख़ातिर तेरे मसके लगावेगी
बड़ी दिलकशी से आया हूं कू ए जान ए जानाँ को बड़ी दिलकशी से आया हूं कू ए जान ए जानाँ को
त्राहि-त्राहि मचने लगे सरिता होती जाती लोप ! त्राहि-त्राहि मचने लगे सरिता होती जाती लोप !