जैसे
जैसे
जैसे, एक अलग दुनियाँ में खोए रहते हैं
जैसे, हर पल तेरी बाँहों में सोए रहते हैं
जैसे, दूर होकर भी तू करीब लगता है।
जैसे, हर लम्हा नित्य नूतन नवीन लगता है
जैसे, सूखी पड़ी जमीन पर बारिश की फुहार हो
जैसे, बसंती मौसम और "राग मल्हार" हो
जैसे, आदि अनन्त जीवनपर्यंत लिखना हो
जैसे, बस मेरे शब्दों में ही तेरी पूर्ण रचना हो
जैसे......... शब्दों की कमी आज भी है
जैसे........आँखों में खोई नमी आज भी
जैसे......... जिंदा हैं हम ये एहसास हुआ है
जब से वो शख़्स इतना करीब और ख़ास हुआ
जैसे....तुम ।