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Ajita Singh

Drama Romance Fantasy

4  

Ajita Singh

Drama Romance Fantasy

वो शाम.....

वो शाम.....

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मुझसे कभी पूछो तुम, क्या वो शाम तुम्हें याद है 

जो हमने पहली बार गुजारी थी, उस कैफे में 

मुझे याद है, तेरा हाथों मेरा हाथ अब भी 

मुझे याद है, तेरा महसूस होता हुआ साथ अब भी 

मेरे गालों को तेरे होंठों की गर्मी का एहसास आज भी है 

मेरी सांसो को लगता है, तू मेरे पास आज भी है 

वो तेरा हाथ पकड़ते ही, मेरा बेफिक्र हो जाना 

वो तुझसे निगाहें मिलाते ही, मेरा बेजिक्र हो जाना 

वो मेरे लिए उठी थी, उस दिन वो हर एक नज़र याद है मुझे 

वो तेरी उंगलियों ने जो तय किया था मेरी जुल्फों का वो सफर याद है मुझे 

वो हर एक लम्हा 

वो हर एक मंज़र

वो हर एक गुस्ताख़ी

वो हर एक जुर्रत 

वो हर एक आरजू

वो हर गुफ़्तगू 

वो इश्क का पल याद है मुझे 

तो मुझसे कभी पूछो तुम क्या वो शाम तुम्हें याद है।



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