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Shashikant Das

Abstract Drama

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Shashikant Das

Abstract Drama

दोस्ती के अनूठे रंग!

दोस्ती के अनूठे रंग!

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दोस्त तो होते है वो ख़ुदा, 

करते है हर मुसीबत से हमको जुदा

दिल के कोठरी ने इन्हें हमेशा रोका, 

दे देते है अपना जीवन जब मिले इन्हें मौका।


ज़िन्दगी डूबी है इन्हीं दोस्तों के रंग में, 

दिलाती है अमृत भरा साथ इस जीवन रुपी जंग में

कठोर परिस्थिति के गर्मी में भी प्रदान करे जो शीतलता, 

ऐसी दोस्ती हमेशा खुश नसीबों को ही मिलता।


इन दोस्तों के बिना जीवन होता कितना अकेला, 

सफ़ेद चादर से लिपटा मन भी लगने लगता मटमैला

कैसी होती होली और कैसी दीवाली इनके संग बिना, 

अभिर गुलाल भी पड़ जाये फीके इनके दोस्ती के रंग बिना।


दुख के घड़ी में भी अपने रिश्ते की गरिमा को ना वो भुलाते, 

अंतिम क्षण में भी जीने की लालसा को वो सुलगा जाते

इनके बिना नमी से भरी लगे ये बरसातें, 

विरह के बादल भिगो देती है बरसा के इनकी यादें।


दोस्तों, इस धरा में ये एक मात्र रिश्ता है जो खून से ना है लिपटा, 

एक माँ के कोख से ना जन्म लेते हुए भी एक आत्मा से है जा सिमटा।


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