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कवि धरम सिंह मालवीय

Drama

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कवि धरम सिंह मालवीय

Drama

बड़ी गजब यौवन की हैं माया

बड़ी गजब यौवन की हैं माया

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चंचल मन हैं कोमल काया

कलियां महकी यौवन आया

देख के योगी भी मोहित गए

मोहनी सा सुंदर रूप बनाया

बड़ी गजब यौवन की हैं माया


न पड़ रे तू इनके चक्कर में

कोई भी नही इनके टक्कर में

वो जो भी चाहे सो कर डाले

कटु नीम मिला दे ये शक्कर में

इनने तो हैं सारा जगत नचाया 

बड़ी गजब यौवन की हैं माया


इनका मुखडा चाँद का टुकड़ा

दीप शिखा सा तन इनका हैं

ऐ सम्भल पतिंगे राख बनेगा

जो तूने इसको अंग लगाया

बड़ी गजब यौवन की हैं माया


प्रेम के जाल में न पड़ पगले

प्रेम लुटेरा यहाँ तुझको ठगले

प्रेम का इसने जाल बिछाया

प्रेम को हैं छल छिद्र बनाया

बड़ी अजब यौवन की हैं माया

बड़ी गजब यौवन की हैं माया।


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