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Sangeeta- A-Sheroes

Drama Tragedy

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Sangeeta- A-Sheroes

Drama Tragedy

बालिका

बालिका

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गोबर से लीप रही थी घर की ड्योढ़ी वह बालिका

रूखे बालों में अटकाया था कूड़े से मिला रिबन पुराना

नन्हे कोमल बदन पर आधा ढका सा वस्त्र खींच

नीचे का कुछ ढक रही थी वह बालिका।

कौतूहल से भरी आँखें माँ संग कूड़ा बीनती ऐसे

नन्हे सपनों को अपने चुन रही हो जैसे वह बालिका।

साँझ हुई उस फुटपाथ पर जाना है फैला हाथ माँगने भीख

डर लगता है माँ, हाथ लगाता वो मुच्छड़ मालिक

समझा ना पाए वह बालिका।

देखती आते जाते गाड़ियों में सजे कुछ अपने से दिखते लोगों को

कौन जगह से आते यह सब, मुझ को भी जाना वहाँ

किससे पूछे सोच रही वह बालिका।

रात हुई मैली गुदड़ी में छुपी माँ से सट वह सो जाती

सपने में पहन नए वस्त्र, गाड़ी में देख खुद को मुस्करा जाती

सोती आँखों के कोर से बेपरवाह सा एक आँसू

ढलकाती वह बालिका।।



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