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Goldi Mishra

Drama

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Goldi Mishra

Drama

ज़रा सा गुम

ज़रा सा गुम

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इन अजीब सी राहों में ज़रा संभलना जरूरी है,

बेहद हसीन है नगमे वफा के इन्हे आहिस्ता गुनगुनाना जरूरी है।


खोल कर जुल्फें बन कर मतवाली,

अपनी कोरी चुनर मैंने सतरंगी रंग रंगवाली,

रूखी रूखी ये शामें,

उसपर बार बार मेरी गलियों से गुजरती तेरी यादें।

इन अजीब सी राहों में ज़रा संभलना जरूरी है,

बेहद हसीन है नगमे वफा के इन्हे आहिस्ता गुनगुनाना जरूरी है।


भीगी सी इन आंखों की देहलीज पर तेरे शहर का डाकिया एक खत रख गया,

चिट्ठी जो थामी अब संभलना ज़रा मुश्किल सा हो गया,

मेरे आंगन में तुझे मेरी बेताबी की छाप हर ओर दिखेगी,

वहीं किसी कोने में मेरी आस की राख तुझे मिलेगी।

इन अजीब सी राहों में ज़रा संभलना जरूरी है,

बेहद हसीन है नगमे वफा के इन्हे आहिस्ता गुनगुनाना जरूरी है।


उलझनों से भरी शायद इस ज़िन्दगी में कभी सुकून के पल भी आए,

थोड़ा सा सब्र और इस नादान दिल को हम ये कह कर समझाए,

अब कुछ ना कहना ही वाजिब लगता है,

अनकहे से सवालों के जवाब की खोज में ये दिल दिन रात खोया सा रहता है।


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