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नविता यादव

Drama

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नविता यादव

Drama

आपकी याद में

आपकी याद में

2 mins
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अरमानो को सन्जोया

जज्बातो को पिरोया

मम्मा-पापा आपकी याद में

खाली पन्नों को मिनटों में भर दिया।


आज भी दिल बहुत करता है

भाग कर आ जाऊँ और पापा आपके सिने से लग,

जी भर "रो "वापिस अपने आँगन लौट आऊँ,

मम्मा आपकी की गोदी मै सिर रख

थोडी देर चैन पा लू

और फिर अपने आँगन लौट आऊँ।


कभी-कभी थक सी जाती हूँ मैं,

बचपन के उन गलियारों में खो जाती हूँ मैं,

बेचैन सी हो जाती हूँ मैं,

जिम्मेदारियों निभाते-निभाते अपने आप को

भरे परिवार के बीच अकेला पाती हूँ मैं।


बिते अपने वही पल वापिस चाहती हूँ मैं,

भाईयों संग लड़ना, बहन संग उलझना मिस् करती हूँ मैं।

भाग कर आना चाहती हूँ मैं,

उस आँगन में फिर से ठुमकना चाहती हूँ मैं

मम्मा-पापा में आप सब को बहुत याद करती हूँ मैं।


माँ हूँ पर एक बेटी भी हूँ,

अपना परिवार सम्भाल रही हूँ

जैसा आप दोनों ने सिखाया वही आगे मैं भी सिखा रही हूँ,

आपके द्वारा दिये गये संस्कारों को

अपने जीवन का हिस्सा बना

अपने अस्तिवा को संवार रही हूँ

जैसा बचपन से सिखा और देखा

उन्हीं पद - चिन्हों पे चली जा रही हूँ।


शिकायतें किसी से नहीं है मेरी" पापा"

पर चालाकी भी जरूरी होती है,

न जाने क्यों पर ये भी जाना मैनें,

पर जान कर भी कुछ नहीं कर पाती,

क्योकिं स्वभाव में मेरे ये आता नहीं है।

मै रोती हूँ ;कुछ देर अकेले पड़ जाती हूँ

फिर मुस्कुराती हूँ,

और अपने कर्तव्य पथ पर बड़ जाती हूँ।


पर पापा दिल ही दिल मै दुख्ती हूँ,

किसी से कुछ नहीं बोल पाती हूँ,

अपने आप को हौसला देती हूँ,

किसी को उल्टा जवाब देने की जगह

उनसे कट अपनी ही दुनियाँ मैं मस्त हो जाती हूँ मैं,

सच कहूँ मन करता है।


भाग कर आऊँ और आपके सिने से लग

जी भर रो लूँ मैं

और अपने आँगन लौट आऊँ मैं,

और अपने आँगन लौट आऊँ मैं।


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