उनसे कट अपनी ही दुनियाँ मैं मस्त हो जाती हूँ मैं, सच कहूँ मन करता है। उनसे कट अपनी ही दुनियाँ मैं मस्त हो जाती हूँ मैं, सच कहूँ मन करता है।
अंधेरा था इमारत की उस काई-भीगी दीवार पर, कुछ ठंडक-सी भी और मेरी चाहत की कोशिश से सटकर खड़ी थी वह... अंधेरा था इमारत की उस काई-भीगी दीवार पर, कुछ ठंडक-सी भी और मेरी चाहत की कोशिश...
अचानक इतने अंजान क्यूं हो गये थे मेरे लिए। अचानक इतने अंजान क्यूं हो गये थे मेरे लिए।
एक मेरे सच से लड़ रहे हो। बनाकर ज़रिया मुझ को सीढ़ी चढ़ रहे हो। एक मेरे सच से लड़ रहे हो। बनाकर ज़रिया मुझ को सीढ़ी चढ़ रहे हो।
ईंटों की पहाडी़ पर रहता है गिद्ध कहना गलत होगा ठग कहना भी पाप ही होगा चालाकी नहीं ईंटों की पहाडी़ पर रहता है गिद्ध कहना गलत होगा ठग कहना भी पाप ही होगा च...
लोगो की चालाकी देखकर, हम चालाकी भूल गए... लोगो की चालाकी देखकर, हम चालाकी भूल गए...