दिल के करीब
दिल के करीब
दिल के करीब, मुझसे दूर
बैठी हो किसी और के
इन्तजार में बनके नूर
दुःख ता हैं दिल बहुत मेरा,
क्योंकि मोहब्बत तुझसे करता है,
कुछ पल बाद संभल भी जाता है,
जब तेरी आँखों में किसी और के लिये
बेइंतहान मोहब्बत देखता है।
बहुत खुशनसीब है वो इन्सान
जिसकी जिंदगी में तुम रोशन हो
जो तुम्हारे सपनों का राजा है,
जो तुम्हारी पूजा, तुम्हारी इबादत,
तुम्हारी पावित्र रूह का जुड़ा
उससे हर नाता है।
समझ सकते है हम ये,
कि मोहब्बत तुम अनसे करते हो
तुम्हारे हर रोम -रोम
से प्यार छलकता नजर आता है।
देखते ही उनको तुम्हारे
चेहरे की रौनक खिल जाती है,
छुते ही उनके तुम छुई- मुई सी
शर्मा जाती हो
चाहती हो बहुत कुछ कहना पर
कह नहीं पाती हो
कशमकश में रहती हो,
आँखों ही आँखों में दिल के
राज समझा जाती हो।
जुबां तक बात आते-आते हड़बड़ी में
कुछ और ही बोल जाती हो।
पगली सी हो पर बहुत प्यारी हो,
भोली सी हो पर दिल की रानी हो
मासूम सी हो पर नजाकत से भरी हो
थोड़ी मनचली हो पर सरल और सुकुमारी हो।
समझते हम भी सब कुछ हैं
मुहब्बत नाम पाने के साथ -साथ खोने का भी है
पर एक झलक जब तुम उस दिन दिखी
मेरे बंजर पड़े दिल मै, कोपले सी फूटी
अंजान थी तुम पर नजाने कब अपनी सी बन गयी
कसम खुदा की उस दिन से मेरे दिल में तुम
एक प्यार भरी गजल सी बन गयी।
अब तुम कहाँ हो मैं नहीं जानता
पर इतना जान लो जहाँ कहीं भी हो
मेरा दिल तुम्हें याद करता रहेगा
तुम्हारी उस प्यारी सी सूरत को देख
मिलने की राह ताकता रहेगा
तुम्हारी याद में।
