प्रैक्टिकल लड़की
प्रैक्टिकल लड़की
कितना मुश्किल होता है
न अकेले चलते रहना
अगर कोई साथ हो तो
हर राह आसान हो जाती है
ऐसा मैंने कहते हुए सुना है
संगठन में बल है
ऐसा हम सदियों
से पढ़ते आ रहे है
किस्सों, कहानियों में
लोगों की जुबाँ से
पर मेरी जैसी
प्रैक्टिकल लड़की
जो बातों से ज्यादा
देखने या करने में
विश्वास रखती है
उसके लिए बहुत
कठिन है ये बात समझना
और ये बात
मेरे तब समझ
में आई जब
मेरी जीजी को
पढ़ने जाना था
बाहर गाँव से आगे
शहर पढ़ाई के लिए
जीजी ने बात करी माँ से
और माँ ने बापू से
पर बापू कहने लगे
मुझे कुछ नहीं पता
पिताजी से बात करो
दादा जी ने साफ मना
कर दिया कहीं जाने से
ये कहकर कि लड़कियाँ
गाँव से बाहर नहीं जा सकती
जो पढ़ना है यहीं गाँव में पढ़े
पर हमारी जीजी
भी ठहरी जिद्दी
क्योंकि 12वीं के बाद
गाँव में कॉलेज नहीं था
इसलिए माँ को
उसने समझाया
माँ पहले से ही
समझदार थी
तो ज्यादा परेशानी
नहीं हुई समझाने में
आखिर मैं माँ ने भी
फैसला कर लिया
या तो जीजी पढ़ने
शहर जाएगी
या माँ इस घर में रहेंगी
दादा जी को बता दिया
सब कुछ जो भी था
माँ ने समझाया दादा जी को
कि अगर आपको
भरोसा नहीं तो मैं साथ
चली जाऊँगी उसके साथ
पर मेरी बेटी आगे जरूर पढ़ेगी
जीजी भी माँ के साथ
खड़ी हो गई मजबूती से
और मैंने भी अपने हाथ
को माँ के हाथ से मिला दिया
हमारे दृढ़ निश्चय को देख
कर दादा जी ने हामी भर दी
और सबके चेहरों में
लौट आई एक हल्की सी मुस्कान
और तब मैं मतलब समझी
एकता में बल है का मतलब
एक और एक ग्यारह का अर्थ
संगठन में बल है का बल
आखिरकार इस तरह
मेरी जीजी कॉलेज जा पाई
और मैं भी आज
कॉलेज ही जा रही हूँ।
