पाँच रुपये
पाँच रुपये
लाल, पीले, हरे, नीले, सब है उसके पास
गोल, लम्बे, चौडे़, दिलाकर, गुब्बारे है उसके पास
बिखरे बाल, चौरस आँखें, चेहरे पर हल्की मुस्कान
हर आने-जाने वाले इंसान पर, टिकी है उसकी आस
कभी इस गली तो कभी उस सड़क पर
कड़कती धूप में चल-चल के, फुल चुकी उसकी साँस
अचानक बाप-बेटी आके, रूके उसके पास
बेटी उत्सुकता से करनी लगी, गुब्बारों की जाँच
अपने जैसा छोटा पर प्यारा, गुब्बारा चुना उसने
पर दोनों के मुस्कान की कीमत, सिर्फ़ पाँच रुपये।