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Shashi Aswal

Tragedy Children

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Shashi Aswal

Tragedy Children

पाँच रुपये

पाँच रुपये

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लाल, पीले, हरे, नीले, सब है उसके पास

गोल, लम्बे, चौडे़, दिलाकर, गुब्बारे है उसके पास


बिखरे बाल, चौरस आँखें, चेहरे पर हल्की मुस्कान

हर आने-जाने वाले इंसान पर, टिकी है उसकी आस


कभी इस गली तो कभी उस सड़क पर

कड़कती धूप में चल-चल के, फुल चुकी उसकी साँस


अचानक बाप-बेटी आके, रूके उसके पास

बेटी उत्सुकता से करनी लगी, गुब्बारों की जाँच


अपने जैसा छोटा पर प्यारा, गुब्बारा चुना उसने

पर दोनों के मुस्कान की कीमत, सिर्फ़ पाँच रुपये।


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