STORYMIRROR

Shashi Aswal

Inspirational

3  

Shashi Aswal

Inspirational

अनोखा रिश्ता

अनोखा रिश्ता

1 min
327


अनोखा होता है रिश्ता

एक पिता और बेटी का

पिता बेटी के रिश्ते से कम

दोस्ती के रिश्ते से ज्यादा।

जब कोई तकलीफ हो बेटी को

खून जलता है पिता का

आँसू तो दिखा नहीं सकते

अनसुलझा चेहरा है बना देते।

माँ तो सब के सामने

दर्द दिखा सकती है अपना

पर पिता नहीं दिखा सकते

सबके सामने दर्द अपना।

शिला के समान दूसरों के सामने

खुद को जताते है

पर अंदर ही अंदर वो

खून के आँसू पीते है।

परछाई की तरह खडे़ रहते

कभी पास होकर तो कभी दूर

पल भर में सुलझा देते

मुश्किल हो चाहे कितनी बडी़।

पिता ने कभी चेहरा पढ़ने का

कोई कोर्स तो नहीं किया कभी

पर चेहरा पढ़ना जानते है

गलती नहीं करते कभी।

जान के भी अनजान बनना

बखूबी हैं उन्हें आता

किसकी कैसी नीयत है

सब समझ में उन्हें आता।

जब कभी सूट पहनने मे

करती हूँ कभी गलती

तू बड़ी कब होगी?

ऐसा कहकर ठीक कर देते।

बच्ची ही बना रहना चाहती हूँ

हमेशा उनके लिए

बड़ी बनने में वो मजा नहीं

जो छोटी बनने में है।

मान हूँ मैं उनका

इतना तो जानती हूँ

सर ऊँचा रहें हमेशा उनका

इतना मैं चाहती हूँ..!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational