रूकी हूँ, झुकी नहीं
रूकी हूँ, झुकी नहीं
रूकी हूँ, झुकी नहीं
अभी जिंदा हूँ, मरी नहीं
गिरी हूँ, तो उठूँगी भी
हालातों से, डरूँगी नहीं
देख रही हूँ, सब पाषाण बनकर
फिर कहर मचाऊँगी, अभी थमी नहीं
ये शांति है, तूफान की
लहर हूँ, ज्वारभाटा नहीं
जैसे "शशि" चमकता है फ़लक पर
छिपता जरूर है, पर ठहरता नहीं...