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Amar Mandal

Drama

4  

Amar Mandal

Drama

दस्तूर

दस्तूर

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दस्तूर है

जाना होता है,

नदी हो, बह जाना होता है,

जो सबसे पास हो,खास हो,

उसे भी खो जाना होता है,


दस्तूर है

जाना होता है !

कल जो कभी आज था,

उसे भी कल हो जाना होता है,


दस्तूर है

जाना होता है !

जो कभी नींद थी,

आज रात न हुई,

जो कभी नम थी,

आज बरसात न हुई,


जो कभी जान थी,

आज अनजान है,

जो कभी आदत थी,

आज याद भी न हुई,

जो कभी पास थी,

आज साथ न हुई,

दस्तूर है

जाना होता है !


कल तक जो घर था, तीनों पहर था,

आज गैर है, मानो जन्मों का बैर हो

मिट्टी जो कभी लिपटी होती बदन से,

बचपन की जो कभी सौन्दर्य धूल थी,


आज चिड़चिड़ी लगी, सूल सी खड़ी लगी,

हवा जो देती ठंडक का एहसास,

आज कभी सर्द हो गई तो कभी लूं,

दस्तूर है कि बदल जाना होता है

दस्तूर है

जाना होता है !


कल तक जो जन्मों के वायदे थे,

आज बीच कोई अलफाज भी न रहे,

दस्तूर है, बदल जाना होता है

दस्तूर है

जाना होता है !


एक चिड़ी उड़ी दाने की तलाश

घोसला छोड़,

अब जब हो पेट का सवाल,

तो रोके कोई, कहां किसी की मजाल,

जंगल, नदी, पर्वत, पहाड़,

छान डाले सब,


थक हार, भटके द्वार-द्वार,

छुटा घर बार, छुटा संसार,

छुटा प्यार, छुटे परिवार, बिझड़े दोस्त-यार,

दस्तूर है, बिझड़ जाना होता है,

दस्तूर है

जाना होता है !


इक हीर, कोई सोनपरी, बाबा की गुड़िया,

पले पालने में, खेले जिन गलियों में,

घूमें मैले, पूजी गई मां दुर्गा की अवतार,

विदा हो गई एक दिन, पालकी में


पराया हुआ वो घर, चौखट, वो द्वार

वो गाँव, गली, वो संसार

कोई पराया हुआ अपना, कई अपने हुए पराये

बने तो वो सात जन्मों के रिश्ते,

पर छूट गए वो पुराने किस्से,

छूट जाना होता है,

दस्तूर है

जाना होता है ! 


दस्तूर है,

खो जाना होता है !

दस्तूर है, 

बदल जाना होता है !


दस्तूर है, 

छूट जाना होता है !

दस्तूर है, 

बिछड़ जाना होता है !

दस्तूर है

जाना होता है !


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