Amar Mandal
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यादों का दरिया बस बहता चला गया,
ऐसा है नहीं, कोशिश हमने भी की,
समेट लूँ मैं भी,
अपनी जिंदगी की छोटी सी गगरी में,
बहाव तेज था,
जैसे डाला गगरी दरिया में,
बस उसी का हो चला,
बह चला,
दरिया संग समुद्र की नगरी में
तू खबर होगा क...
बाबा, जनने क्...
दस्तूर
तो आना !
बेहतर बनूं !
चारदीवारी
याद