मौसमी बीमारी
मौसमी बीमारी
खादी कुरता, गाँधी टोपी ये मौसमी बीमारी है
मैं नेता हूँ सच कहता हूँ मुझको कुर्सी प्यारी है।
जनता से नहीं तो किससे कहूँ मन की बातें
वोट उन्हीं के पास है सो घूमूँगा मैं दिन-रातें
अब तो क्षेत्र में जाऊँगा क्योंकि चुनाव की बारी है
मैं नेता हूँ सच कहता हूँ मुझको कुर्सी प्यारी है।
नए नए वादे फिर से और नयी लुभावन सौगातें
उनके चेहरे पहले पढूँगा और सुनूँगा उनकी बातें
हे मतदाता राष्ट्रविधाता यह सेवक आभारी है
मैं नेता हूँ सच कहता हूँ मुझको कुर्सी प्यारी है।
दल बदल दिया है हमने आप के खातिर ही
तुम भी बदलो है सही वक्त अपने खातिर ही
हे ग्रामदेवता ,जीवनपालक विनती यही हमारी है
मैं नेता हूँ सच कहता हूँ मुझको कुर्सी प्यारी है।
बहकावे में आकर भूल न जाना मुझको
मुझ-सा नेता नहीं मिलेगा कभी भी तुमको
अगर जीत जाता हूँ तो समझो जीत तुम्हारी है
मैं नेता हूँ सच कहता हूँ मुझको कुर्सी प्यारी है।
तुम भारत के भाग्य विधाता वोट तुम्हारे पास
मुझे नहीं तो किसे चुनोगे मैं ही हूँ तो
ख़ास भवन बनेगा सड़क बनेगा बिजली की तैयारी है
मैं नेता हूँ सच कहता हूँ मुझको कुर्सी प्यारी है।
सुनो सुनो हे भाई बहनों जरा ध्यान से
कुछ नेता बातें करते हैं बड़े शान से
हाथ उठाकर भाषण देना उनकी एक बीमारी है
मैं नेता हूँ सच कहता हूँ मुझको कुर्सी प्यारी है।