अपनी रक्षा स्वयं करो
अपनी रक्षा स्वयं करो
हाथ बाँध बैठो मत भाई एकजुट होकर काम करो।
अपनी रक्षा के खातिर तुम खुद कोई इंतजाम करो।।
जो इतिहास रचयिता हैं जग की परवाह नहीं करते।
वे शशि-दिनकर के सम चलकर निज मंजिल पूरी करते।।
आस न रखो खुद औरों से स्वयं सृजन का काम करो।
अपनी रक्षा के खातिर तुम, खुद कोई इंतजाम करो।।
वृक्ष वही बनते हैं जो, गर्मी की लपट सह जाते हैं।
वरना कुछ तो बीच राह में, निज जीवन तज जाते हैं।।
अपने ही बलबूते पर तुम, धैर्यशील बन काम करो।
अपनी रक्षा के खातिर तुम, खुद कोई इंतजाम करो।।
परसेवा का भार लिए सिद्धार्थ बुद्ध बनकर चमके।
हर मनुष्य को समता का अधिकार दिलाये खुद चलके।।
मन में लालचरहित सदा निष्काम भाव से काम करो।
अपनी रक्षा के खातिर तुम खुद कोई इंतजाम करो।।
भीमराव ने निज प्रयास से वह करके दिखलाया है।
अत्याचार भी उनके सम्मुख अपना शीश झुकाया है।
देश, समाज, मनुजता खातिर तुम भी ऐसा काम करो।
अपनी रक्षा के खातिर तुम खुद कोई इंतजाम करो।।
दशरथ मांझी ने निज बल से पर्वत का दर्प समाप्त किया।
धीरे-धीरे शाश्वत होकर निज मंजिल को प्राप्त किया।।
आओ, तुम भी अपने बल पर सारे जग में नाम करो।
अपनी रक्षा के खातिर तुम खुद कोई इंतजाम करो।।