इस मिट्टी के आगे मस्तक झुकता बारम्बार है। इस मिट्टी के आगे मस्तक झुकता बारम्बार है।
देखिहे राम लक्ष्मण हो ललनवा हम नचवाई हो हनुमनवा। देखिहे राम लक्ष्मण हो ललनवा हम नचवाई हो हनुमनवा।
कौशल्या अरु दशरथ नन्दन, जलज नयन छवि ललित ललाम। कौशल्या अरु दशरथ नन्दन, जलज नयन छवि ललित ललाम।
दशरथ सत्कार किया, कहा जो भी मांगोगे तुम स्वामी इच्छा करूंगा पूरी मैं प्रण किया और । दशरथ सत्कार किया, कहा जो भी मांगोगे तुम स्वामी इच्छा करूंगा पूरी मैं प्...
जो मांगोगी वही मिलेगा सौगंध राम की मैं हूँ खाता। जो मांगोगी वही मिलेगा सौगंध राम की मैं हूँ खाता।
सीता ने माना था श्री राम को आधार, श्री राम ने किया सीता को निराधार। सीता ने माना था श्री राम को आधार, श्री राम ने किया सीता को निराधार।