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Ram Chandar Azad

Inspirational

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Ram Chandar Azad

Inspirational

जले दीप घर -घर

जले दीप घर -घर

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जले दीप घर -घर दीवाली मनाएं।

खुशी की किरण हर तरफ जगमगाए।।


नई रोशनी संग नई क्रांति बनकर,

सजे दीपमाला हर इक द्वार -आँगन।

मनुजता का दीपक तभी जल सकेगा,

हृदय में हो बाती अगर प्रेम पावन।।


सजे जब रंगोली सभी मन को भाए।

जले दीप घर -घर दीवाली मनाएं।।


कहीं दीप की दीप्ति से इस जहां में,

अंधेरा भला मिट सका है कभी भी।

गगन से जमीं पर उतर आएं तारे,

हृदय का अंधेरा न जाएगा फिर भी।।


हृदय का तमस दूर खुद ही भगाएं।

जले दीप घर -घर दीवाली मनाएं।।


सृजन के बिना यह धरा है अधूरी,

सृजन बिन अंधेरा बना ही रहेगा।

सदा नाश का खेल होता रहा है,

मनुज को स्वयं दीप बनना पड़ेगा।।


सभी अपने अंदर का दीपक जलाएं।

जले दीप घर -घर दीवाली मनाएं।।


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