जिंदगी
जिंदगी
जो कह दिया वह शब्द थे
जो नहीं कह सके
वो अनुभूति थी।
और,
जो कहना है मगर
कह नहीं सकते,
वो मर्यादा है।
जिंदगी का क्या है ?
आ कर नहाया,
और,
नहाकर चल दिए।
बात पर गौर करना
पत्तों सी होती है
कई रिश्तों की उम्र,
आज हरे!
कल सूखे !
क्यों न हम,
जड़ों से
रिश्ते निभाना सीखें।
रिश्तों को निभाने के लिए,
कभी अंधा,
कभी गूँगा,
और कभी बहरा
होना ही पड़ता है।
बरसात गिरी
और कानों में इतना कह गई कि!
गर्मी हमेशा किसी की भी नहीं रहती।।
नसीहत,
नर्म लहजे में ही
अच्छी लगती है ।
क्योंकि,
दस्तक का मकसद,
दरवाजा खुलवाना होता है
तोड़ना नहीं।
घमंड!
किसी का भी नहीं रहा,
टूटने से पहले ,
गुल्लक को भी लगता है कि
सारे पैसे उसी के हैं ।
जिस बात पर
कोई मुस्कुरा दे
बात !
बस वही खूबसूरत है।
थमती नहीं,
जिंदगी कभी,
किसी के बिना।
मगर,
यह गुजरती भी नहीं,
अपनों के बिना।