क्यों
क्यों
क्यों एक ही शख्स में अटक कर रह गया,है दिल
क्यों इन आंखों को तेरे सिवा कुछ दिखता ही नहीं।
क्यों एक ही दुआ में अटक कर रह गया, है दिल
क्यों रब से तेरे सिवा कभी कुछ मांगा ही नहीं।
क्यों एक ही राह में अटक कर रह गया, है दिल
क्यों दूसरे सफर में जाने का मन करता ही नहीं।
क्यों एक ही खयाल में अटक कर रह गया, है दिल
क्यों दिमाग में कोई और अब बसता ही नहीं।
क्यों एक ही जिद में अटक कर रह गया, है दिल
क्यों तेरी कोई कमी अब नजर आती ही नहीं।
क्यों एक ही जरूरत में अटक कर रह गया, है दिल
क्यों कोई और ख्वाहिश अब बची ही नहीं।
क्यों एक ही दोस्ती में अटक कर रह गया,है दिल
क्यों किसी और से मिलने की तमन्ना अब रही नहीं।
क्यों एक ही अल्फाज में अटक कर रह गया, है दिल
क्यों इन कानों को कोई और धुन सुनते ही नहीं।